भारत समेत दुनिया भर के मुल्कों की नजर पाकिस्तान के सियासी घटनाक्रम पर टिकी है। आखिरकार अब फैसले की घड़ी आ गई है। पाकिस्तान में सबकी जुबान पर एक ही प्रश्न है कि अब पाकिस्तान की सियासत में आगे क्या होगा। बहुत कम लोगों को यह भरोसा है कि इमरान खान की सरकार बच पाएगी। यह माना जा रहा है कि उनकी सरकार का जाना तय है। यक्ष सवाल यह है कि कि इसके बाद क्या होगा। पाकिस्तान सियासत की दिशा और दशा क्या होगी। पाकिस्तान में संयुक्त विपक्ष ने नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री बनाने की बात कही है। हालांकि, यह व्यवस्था बहुत दिनों तक कायम नहीं रह सकती। देर-सबेर पाकिस्तान में चुनाव होने ही हैं। पक्ष और विपक्ष को चुनाव का सामना करना ही होगा। पाकिस्तान में इस राजनीतिक संकट या उथल-पुथल ने पाकिस्तान की सियासत में कुछ नए राजनीतिक चेहरे प्रमुख रूप से उभर कर सामने आए हैं।
इमरान खान: क्रिकेट से राजनीति की पारी शुरू करने वाले इमरान खान पाकिस्तान में काफी लोकप्रिय हैं। उनकी यही लोकप्रियता ही सियासत में काम आई। 1992 में विश्वकप में पाकिस्तान की टीम हीरो बनकर उभरी। इस टीम का नेतृत्व इमरान खान कर रहे थे। विश्व कप जीत का श्रेय इमरान खान को गया। विश्व कप के चार वर्ष बाद इमरान ने राजनीति में कदम रखा। इमरान ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी का गठन किया। वर्ष 2002 के चुनाव में उनकी पार्टी ने चुनाव में शिरकत किया और उसे महज एक सीट मिली। वर्ष 2008 के चुनाव का बहिष्कार करने के बाद वर्ष 2013 तक इमरान की पार्टी तीसरे स्थान पर रही। इमरान ने युवा और शहरी मध्यम वर्ग के लोगों को भ्रष्टाचार मुक्त पाकिस्तान के सपने दिखाए और अमेरिका की ड्रोन स्ट्राइक के गुस्से का राजनीतिक लाभ लिया। वर्ष 2018 में इमरान की पार्टी की जीत हुई और वह सत्ता पर काबिज हो गए। हालांकि, उनकी सियासी राह उतनी आसान नहीं रही और हर वजीर ए आजम की तरह उनका भी कार्यकाल पूरा होने से पहले बोरिया बिस्तर बंधना तय माना जा रहा है।
बिलावल भुट्टो जरदारी: पाकिस्तान के सबसे बड़े सियासी परिवार से उनका संबंध है। बिलावल पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे हैं। वह सबसे कम उम्र में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बने। उस वक्त उनकी उम्र महज 19 वर्ष की थी। उस वक्त वह आक्सफोर्ड में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे थे। बिलावल की कोशिश अपने पिता आसिफ अली जरदारी के नेतृत्व में हाशिये पर पहुंची पार्टी को दोबारा खड़ी करने की है। बिलावल के पिता को नवाज शरीफ ने भ्रष्टाचार के लिए जेल का रास्ता दिखाया। पाकिस्तान की आधी से ज्यादा जनता 22 साल से कम उम्र की है। ऐसे में सोशल मीडिया पर बिलावल हिट हैं। अंग्रेजी के पुट के साथ उर्दू बोलने के चलते उनका कई बार मजाक भी बनता रहा है।
पाकिस्तानी सेना: पाकिस्तान की सियासत में फौज की अनदेखी नहीं की जा सकती है। पाकिस्तान फौज ने लंबे समय तक राज किया है। जनरल मुशर्रफ के सत्ता छोड़ने के वर्षों बाद भी सेना सत्ता और सरकार पर अपना काबू बनाए हुए है। पाकिस्तान की सियासत में उसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दखल रहता है। पाकिस्तान के सुरक्षा मामले, विदेश मामले और अर्थव्यवस्था में उसका पूरा हस्तक्षेप है। राजनेता फौज के प्रभाव को समझते हैं और उसके दर पर सजदा भी करते हैं। वर्ष 2018 में इमरान की जीत के बाद पाकिस्तान के इतिहास में महज दूसरी बार सत्ता राजनेता से राजनेता के पास गई। इमरान के इस संकट के पीछे भी फौज का नाखुश होना ही माना जा रहा है।